कुछ रिश्ते……

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कुछ रिश्ते
महँगी ‘ब्रांडेड इत्र ‘जैसे होते हैं
जिन्हें कयोंकि हासिल करना मुश्किल होता है
इसलिए
मात्र  ‘टेस्टर’ की महक से ही दिल बहला लिया जाता है

कुछ रिश्ते
बौद्ध भिक्षुओं के मन्त्रों की तरह होते हैं
जितनी बार सुना जाए
हर बार सुकून का ही एहसास होता है

कुछ रिश्ते
सुबह की लाज़मी
चाय की प्याली जैसे होते हैं
जिनके बिना
दिन की शुरुआत ही नही होती

कुछ
माँ के हाथ के बने स्वेटर जैसे
गर्माहट से भरे

कुछ
कांच के गिलास के सेट जैसे
जिन पर अक्सर
‘हैंडल विद केयर’ का लेबल लगा रहता है

कुछ
उत्तरी ध्रुव् के ग्लेशियरों  जैसे
बेहद ठन्डे
कभी पिघलते ही नही

कुछ प्रवासी पक्षियों जैसे
साल के दो – चार महीने
अपना स्थाई पता बदलकर
फिर अपने वतन लौट जाते हैं

कुछ
पहाड़ों पर बनी
संकरी पगडंडियों जैसे
जिन्हें हमेशा संभल कर पार करना होता है

कुछ रिश्ते ‘बहीखातों ‘जैसे होते हैं
जिनके हर लेन – देन का हिसाब रखा जाता है

कुछ रिश्ते किसी पुरानी नोटबुक में
संजोए गुलाब के फूल जैसे होते हैं
सालों बाद भी मिल जाएं तो
चेहरे पर लंबी मुस्कान छोड़ जाते हैं

और
कुछ रिश्ते…….
लापता ऍम .एच . 370 जैसे होते हैं
जिनकी तलाश कभी ख़त्म ही नही होती !

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